चक्रों का विज्ञान, चक्र जागृत करने विस्तृत की विधि – क्या यह संभव है की एक साधारण इंसान असाधारण ऊर्जा(पावर्स) को प्राप्त कर सकता अगर हां तो कैसे? आपने शरीर में सात चक्रों के बारे में तो सुना है –
- मूलाधार चक्र – नींद-आराम, भोजन – मंत्र- लं
- स्वाधिष्ठान चक्र – जीवन प्रवाह, दुःख व ख़ुशी, भौतिक सुख़ – मंत्र- वं
- मणिपुर चक्र – उर्जावान, कर्मयोगी – मंत्र- रं
- अनाहत चक्र – प्रेम, सृजनशील व्यक्ति मंत्र- यं
- विशुद्धि चक्र – मधुर वाणी, रचनात्मक मंत्र- हं
- आज्ञा चक्र – भविष्य वक्ता, स्मरण शक्ति मंत्र- उ
- सहस्त्रार चक्र – त्याग, ईश्वरीय अनुभूति मंत्र- ॐ
चक्रों का विज्ञान, चक्रों को जागृत करने विस्तृत की विधि –
क्या आपको पता है कि हमारे शरीर में और सात चक्र है जो कुछ शरीर के अंदर और कुछ शरीर के बाहर होते हैं जो उच्च स्तर के साधक होते है उनमे से कुछ लोग ही इनको प्राप्त कर पायें हैं। हमने जो सात चक्र के बारे में अब तक सुना है वह साधारणतः योग गुरु द्वारा अक्सर बताये गयें हैं यह जो चक्र जिसकी हम बात कर रहें हैं वो अधिकतर चर्चा में नहीं हैं वैसे शरीर में 114 चक्र होते है परन्तु प्रचलन में केवल परन्तु सात चक्र आते है उन चक्रों में से कुछ चक्रों के बारे में बात करतें हैं वो कहाँ कहाँ पर स्थित होतें हैं और उन्हें कैसे जागृत अवस्था में लाया जाये और इन्हें जागृत करने के बाद हम कैसा अनुभव प्राप्त कर सकते हैं आइये स्वागत है आपका divinhtepancatva.com में
आपने मूलाधार चक्र और सहस्त्रार चक्र के बारे में सुना ही है पर क्या आप जानते हैं मूलाधार के नीचे भी चक्र होता है और सहस्रार के ऊपर भी और छ: चक्र होते हैं वैसे तो ऊर्जा चिकित्सको के अनुसार हमारे शरीर में 114 चक्र होते है। इन्हें 7 प्रमुख चक्रो, 21 लघु चक्रों और 86 सूक्षम चक्रों में विभाजित किया गया है उनमे से कुछ चक्र जो स्वत: ही जागृत अवस्था मे होते हैं। जो हमारे शरीर के अंदर मोजूद हैं या फिर कुछ चक्र को जागना पड़ता है। पर विशेषतः ये जो सात चक्र है। उनमे से छः चक्र शारीर के बहार होते हैं और एक चक्र शरीर के नीचे पांव वाले मध्य भाग में होता है पावं के नीचे वाली जगह संवेदनशील होती है इस संवेदनशील के मध्य भाग में एक चक्र है इसे अर्थस्टार चक्र कहा जाता हैं वैसे तो दोनों पैरो में ये चक्र होते है परन्तु पुरुष में लेफ्ट वाले पाव में और स्त्रियों में राईट पावं में एक्टिव होता है और दूसरी तरफ चक्र जो सहस्त्रार के उपर होते हैं –
(Soul Star chakra)
(Universal Gateway chakra)
(Galactic Gateway Chakra)
(Stellar Gateway Chakra)
(Divine Gateway Chakra)
(Consciousness Gateway Chakra),
उन दो चक्र के बारे में बात करने वाले हें अर्थ स्टार चक्र और सोल स्टार चक्र सबसे पहले हम बात करते हें-
अर्थ स्टार चक्र के बारे में कहते है की अर्थस्टार चक्र को 0 चक्र की श्रेणी में रखा जाता है फिर भी इसका अपना एक महत्व आज है चलो जानते है इसका क्या महत्व है – यह पूरा ब्रह्मांड पंचभूत तत्व से बना हुआ है और पंचभूत तत्व अलग अलग ऊर्जा से बने हुए हैं यह अलग अलग ऊर्जा हमारे आस पास ही होती है पर हम उसे अनुभव नहीं कर पाते हैं इस चक्र का बस यही काम होता है की धरती की ऊर्जा का हमारे शरीर में चक्रो के माध्यम से अंदर की ओर प्रवाह करना आपने कभी अनुभव किया होगा की अगर आप कभी खुले पावं गार्डन में या समुद्र के किनारे चले तो हमे फ्रेश ऊर्जा का अनुभव होता है और हमे नेचर की सुगंध और थोड़े समय बाद टेस्ट का अनुभव भी होने लगता हैं धरती की उर्जा पावं के द्वरा अर्थ स्टार चक्र में धीरे से ऊपर की और उठती है और मूलाधार चक्र में जैसे ही प्रवेश करती है हमें सुगंध का अनुभव होता है और ऊपर उठने पर हमे फुलफिल्मेंट का अनुभव होता है क्योंकि ऊर्जा मणिपुर और स्वाधिष्ठान चक्रों में केन्द्रित होती है अगर हम और ज्यादा नेचर से कॉनेक्ट रहे तो ह्रदय में शीतलता का अनुभव होता है ये धरती की ऊर्जा अगर और ऊपर उठे तो एक शांति का अनुभव होगा और हम ज्यादा स्पष्ट देख सकेंगें तब समझे की विशुद्धि और आज्ञा चक्र में प्रवेश हुआ है अर्थ स्टार चक्र से धरती की ऊर्जा हमारे शारीर में अनुभव की जा सकती है और इसको जागृत करने के और भी कई लाभ हैं –
- जैसे की वातावरण की भविष्यवाणी करना धरती के अंदर के तत्वों को अनुभव करना
- आपने शरीर को निरोगी बनाना कुदरत के प्रति जागरूक होना और धरती के ओरा के साथ कनेक्ट होना
- आपने शायद देखा होगा हिंदू धर्म में कि जब भगवान शिव जागृत अवस्था में होते हैं तब उनका एक पैर धरती से कनेक्ट होता है सामान्यतः अगर आप भगवान शिव की प्रतिमा देखेंगे तो उसमे कभी बायाँ पैर तो कभी दायाँ पैर नीचे जमीन पर होता है अगर बायें पैर से प्रथ्वी की ऊर्जा का प्रवेश हो तो शांति का अनुभव होता है तो कभी दोनों पैर नीचे होते है तो इन्हें बैलेंस किया जाता है शिव एक अर्धनारीश्वर रूप में हैं वें दोनों पैर नीचे रख सकते हैं परन्तु पुरुष अगर अपना बायाँ पैर धरती पर रखें तो उर्जा बायें पैर से शरीर में प्रवेश करेगी ठीक इसी प्रकार स्त्रियों में दायें पैर से उर्जा बायें पैर की तरफ चलती है तो उनमे उर्जा का प्रभाव होता है अब बात करते हैं।
अर्थ स्टार चक्र को जागृत कैसे करें अर्थ स्टार चक्र के जागृत होने से लाभ
इसे जागृत करने के बहुत से तरीके है
- जैसे की प्रकृति के साथ कनेक्ट हो जाना गीली मिटटी में पावं रखना या
- खुले पावं जमीं पर चलना जैसे सन्यासी चलते है पर
- हम आपको सबसे सरल विधि बताएंगे सबसे पहले आपको जो सही लगे उस मैडिटेशन मुद्रा में बैठ जाएँ
उस के बाद अपने पावं के मध्य भाग में संवेदनशील केंद्र के पास एक दीपक जलाएं ध्यान रहे दियाँ वहीँ पावं के केंद्र के पास होना चाहिये जिस चक्र को आप एक्टिवेट करना चाहते हैं
फिर थोड़ी देर अपनी सांसों पर ध्यान दीजिये
फिर अपने पावं के संवेदन शील केंद्र पर ध्यान दीजये आपको दीये की गर्माहट महसूस होने लगेगी बस आप अपना ध्यान वहीँ पर बनाये रखें –
- आपको कुछ क्षण बाद अनुभव होगा दिये की उर्जा आपके पावं के माध्यम से अन्दर अर्थ स्टार चक्र में प्रवेश हो रही है
- आपके पैर के उस स्थान में धीमे से सुई की तरह चूब रही है बस यह प्रक्रिया आप 45 दिन तक करते रहे 45 दिन लगातार करने के बाद आपके विचारो और अनुभवों में बदलाव आने लगेंगे तब समझे की अर्थ स्टार चक्र जागृत हो चुका है और उनका जो भी प्रभाव है उनके आपको अनुभव हो रहे हैं।
सोल स्टार चक्र का स्थान और शक्ति(ऊर्जा) से क्या प्राप्त कर सकते हैं
सोल स्टार चक्र की माना जाता है की सोल स्टार चक्र क्राउन चक्र के 6 या 8 इंच ऊपर होता है इसे सोल सीटिंग चक्र भी कहते है। जहाँ पर हमारी आत्मा बैठती है और इस चक्र के बारे में ज्यादातर नहीं बताया जाता परन्तु यह चक्र इतनी सिद्धि आपको दे सकता है कि आप इस दुनिया पर एक सुपर ह्यूमन बन सकते हैं पर साथ ही खतरा भी उतना ही होता है इनके खतरों के बारे में अंत में बात करेंगे सबसे पहले बात करते हैं ऊर्जा(पावर्स) के बारे में –
सोल स्टार चक्र जागृत होने से आध्यात्मिक ऊर्जा हायर(divine) डाइमेंशन एक्टिवेट हो जाता है। और उसके साथ हमेशा एक कनेक्शन बना रहता है। उदाहरण के तौर पर समझिए कि आप जिस भी ईश्वर को मानते हैं या किसी भी देवी देवता को आपको उनका अंश स्वरुप महसूस होने लगेगा जैसे रामकृष्ण परमहंश जी को ऐसा ही अनुभव हुआ था उनका देवी माँकाली पर प्रचंड भक्तिभाव था उनसे उनका एक संपर्क बन गया था दूसरी चीज है उच्त्तर चेतना हमारे शरीर के अंदर एक चेतन होती है जिसके कई सारे नाम है कोई उसे आत्मा बोलता है कोई उसे जीव बोलता है कोई उसे भगवान बोलता है उदाहरण के तौर पर कोई एक मशीन है जब तक मशीन के अंदर एक इलेक्ट्रिकल एनर्जी दाखिल नहीं होगी तब तक मशीन एक शरीर ही है जब इलेक्ट्रिसिटी दाखिल होती है तब वह मशीन अपना काम करने लगती है और जीवित हो जाती है अब उच्त्तर चेतना को समझिये तो आपको अपने क्रॉउन चक्र के ऊपर एक छोटा सा सूक्ष्म शरीर होता है और जब भी आप कुछ सोचेंगे और आपके मन में जो भी विचार चलेंगे उनमे से कई सारे विचार उसी चक्र में से आयेंगे जो विचार बहुत ही उच्त्तर विचार होंगे जैसे किसी उच्च आत्मा द्वारा बोले गए हो आपकी सोचने की क्वालिटी इतनी मजबूत हो जाएगी की जो भी आप सोचेंगे वह सबसे अलग सोचेंगे वह विचार आपके खुद के नहीं होंगे और बस यही होगा कनेक्शन में। ईश्वर का कोई वोईस नहीं होता और न ही उनका कोई आकार होता है। आप जो भी मन में प्रश्न करेंगे उनका जवाब आपको अपने विचारो द्वारा मिलेगा –
- (Clairvoyance)क्लैर्वोयांस आपने कईं बार ये सुना होगा कि हर एक चीज का एक ओरा होता है इस दुनिया में आत्मा घूमती है यह सभी चीज ऐसी होती है कि सभी लोगों को नहीं दिखती या फिर आपने महाभारत में भी देखा होगा कि अर्जुन को भगवान का विराट रूप जब देखना था तब वें अपनी नार्मल आंख से नहीं देख पा रहे थे इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें दिव्य दृष्टि प्रदान करी थी अब इसे योगिक साइंस से देखे तो हाँ ये संभव है की किसी के पास ये दिव्यदृष्टि हो तो आप ये देख सकते हो या दिव्य दृष्टी को ट्रान्सफर कर सकते हो कुछ क्षण के लिए जैसे गुरु अपने शिष्य को कुछ देर के लिए शक्ति पाठ देकर कुंडलिनी उर्जा जागृत करते हैं जब मानवीय शरीर में क्लैर्वोयांस एबिलिटी की दिव्य दृष्टी जागृत हो जाती है तब हम दिव्य आत्मा भी देख सकते है सभी इंसानों का ओरा भी देख सकते है और उसकी नियत भी देख सकते है की उसकी नियत क्या है यह अध्यात्मिक गुण है दुसरो की बातो को सुनने देखने या महसूस करने की क्षमता आजाती है जो उनकी साधारण इंद्री से बाहर होती है यह एक अद्भुत और अस्वाभाविक क्षमता हो सकती है जिसके द्वारा व्यक्ति दुसरो के मन की योजनाये या गतिविधियों को जान सकता है।
- (clairaudience) जब सोल स्टार चक्र जागृत होता है तो हमारे कानो की सुनने की शक्ति एक्टिवेट हो जाती है और हम ऐसी ध्वनी भी सुन सकते है जिसे आम इंसान सुन नहीं पाता जनरली हमारी कैपेसिटी 20Heartz से लेकर 20000Hertz तक की ध्वनि ही सुन सकते है उनके ऊपर और नीचे की ध्वनि को हम सुन नहीं पाते वैसे ही हमारे स्पर्श को अनुभव करने की कैपेसिटी होती है जब भी किसी का हैवी एक्सीडेंट होता है तब कुछ क्षणों के लिए वह दर्द हमें महसूस नहीं होता कुछ देर के बाद वह दर्द हमें महसूस होने लगता है क्योंकि शुरुआत में दर्द की सेंसिटिविटी और डेसीबल हाई होती है जो हम अनुभव नहीं कर पाते हैं पर थोड़ी देर में दर्द कम होता है और हमारे अनुभव की क्षमता में आ जाता है ठीक उसी तरह सुनने में भी होता है क्लेअरौदिएन्स एक्टिव होने से हमे हमारे शारीर के अन्दर से भी कुछ आवाजे सुनाई देती है जैसे की मंदिर की घंटियों की आवाज, ॐ ध्वनि तथा शारीर में हो रहे बदलाव की आवाज सुनने लगती हैं।
हमारे कान के अन्दर – तीन पार्ट होते है – आउटर इयेर, मिडिल इयेर, इनर इयर, उनमे से मिडिल इयेर का काम है दोनों (Freequency)फ़्रीक़ुएन्क्य को कलेक्ट करना और ब्रेन में ट्रान्सफर करना इससे हमे दोनों आवाजे सुनाई देती है और भीतर और बहुत दूर की आवाजे भी सुनाई देती है उसके लिए कानो का ध्यान भी सीखना पड़ता है इससे कोई हमारे कानो के पास संगीत बजा रहा है या कोई बहुत दूर की आवाज भी हम इस मैडिटेशन से सुन सकते है इससे आस पास का शोर बिलकुल जीरो हो जाता है और दूर की आवाज स्पष्ट सुनाई देने लगती है।
The Secret to Hel – अंग्रेजी की एक बुक है उसमें लेखक ने बताया है एक एक्सीडेंट की वज़ह से उसे ब्रह्मांड की आवाजे सुनाई दे रही थी जैसे की दो ग्रहों या फिर उल्का के बीच में टकराने की आवाज या फिर सूर्य में हो रहे प्रकाश से उत्पन ध्वनियो की आवाज हमारे ब्रह्मांड पुराण में उपस्थित ऋषि मुनियों ने सूर्य और उसकी गतिविधि के बारे में बताया है तो उसके पीछे का कारण ही बस यही उच्चतम प्रमाण था कि वह लोग इस पृथ्वी पर रहकर ही चीजों को अनुभव कर सकते थे।
- पांचवी एबिलिटी (Clairsentience) जिसकी मदद से हम किसी भी चीज को उच्चतर माध्यम से अनुभव कर सकते हैं सूंघ सकते हैं और हमारी इंद्रियों का अनुभव बहुत ही उम्दा प्रमाण में बढ़ा सकते हैं जैसे की गर्म लोहा और हमारा शरीर ठंडा हो तो हम उस लोहे पर हाथ रखे और उसकी ऊष्मा को हम ऐसे ओब्सेर्व कर सकते है जसे हीट एक्सचेंज मेथड अगर हम हिमालय की ठंड में हो और तापमान शून्य से नीचे हो और सूर्य के सामने हाथ करें तो हमारे शरीर में उच्चतर प्रमाण की गर्मी पैदा हो सकती है शायद यह कारण हो सकता है कि हिमालय में योगी बिना कपड़ो के भी रह सकते है।
ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ योगी में बताया गया है की कोलकाता के गुरु जो अपने हाथ या फिर शरीर के भाग से एक सुगंध बना सकते थे इसके पीछे का विज्ञान बस यही है कि जैसे हम किसी भी चीज से ऊर्जा ऑब्जर्व कर एकत्रित करके शरीर के किसी भी भाग में जमा कर सकते हैं ऊर्जा और वाइब्रेशन अगर ऊर्जा की बात करे तो बायोग्राफी ऑफ़ योगी बुक में एक किस्सा बताया जाता है जब परम हंश योगानंद जी अपने शिष्य को ढूंढते हैं तो उस शिष्य की उर्जा को अनुभव करते है और उसी दिशा में आगे बढ़ते है अगर आप भी ऐसे उर्जा को अनुभव करना चाहते है तो आपको एक मेथड बतातें हैं जहाँ पर भी हो आप खड़े हो जाएँ अपने मन को एकदम शांत कर गहरी साँस लेकर आंखें खुली रखे अपने ब्रेन पर फोकस रखें ध्यान रखें कोई भी छोटा सा अनुभव छुटना नहीं चाहिये अपने विचारो को बंद कर दीजिये और ध्यान मष्तिष्क पर रखें अब बहुत ही धीरे धीरे गोल घुमे ध्यान पूर्वक आपको एक ऊर्जा अनुभव होगी जिस दिशा में ऊर्जा महसूस होती है उस दिशा में रुक जाएँ और बहुत ही ध्यान पूर्वक उस उर्जा दिशा में आगे बढ़ेंगे तो आपको उसका सोर्स मिलेगा कोई मूर्ति या फिर पदार्थ और इस मूर्ति के सामने आंख बंद करके ध्यान करने से आपको एक (vibration)महसूस हो सकती है अक्सर बड़े बड़े मंदिरों में आपने देखा होगा की वहाँ की आध्यत्मिक ऊर्जा और (viberation) अक्सर अनुभव होतें है और कभी कभार ऐसे (viberation) हमें (goose bump) भी दे जाते है पुराने समय में राजा महाराजा वास्तु शास्त्र की मदद से ऐसे मंदिरों का निर्माण करवाते थे की वहाँ से एक उर्जा का प्रवाह हमेशा निकलता रहे अगर आप कैलाश गयें हो कभी तो यह बात आप काफी अच्छे तरीके से महसूस कर पाएंगे।
- अब एबिलिटी है Telepathy माना जाता है जब भगवान शिव ने सप्त ऋषियों को ज्ञान दिया था तब बिना बोले मोन रह कर ही दिया था आज के ज़माने सोचेंगे तो ये लगेगा के ये कैसे संभव हो सकता है पर यह संभव है उस के लिए आपका एक अच्छा योगी होना जरुरी है जब शिव इस धरती पर आयें तब वें ध्यान में बठे थे नगर में काफी लोगो की भीड़ जमा हुई सब लोगो को लगा ये योगी कुछ चमत्कार करेंगें पर शिव ने ऐसा कुछ भी नहीं किया बस वो स्थिर बैठे रहे धीरे धीरे लोग वहाँ से उठ कर चलने लगे काफी दिन हो गए जो हजारो की भीड़ लगी थी उन में से कुछ गिने चुने लोग ही बचें और कुछ महीने बीतने के बाद वहाँ पर केवल सात लोग ही बचें वो भी मोन थे और शिव भी मोन थे फिर भी कहा जाता है सप्त ऋषियों को योगी बनने की शिक्षा दी I भगवान शिव ने टेलीपथे की मदद से सप्त ऋषियों को शिक्षा प्रदान की, सात ऋषि और भगवान शिव ने मन ही मन संपर्क बनाया और सप्त ऋषि योगी से महा योगी बने भगवान शिव ने टेलीपथी की एबिलिटी से जो भी सिखाया था वो गुरु दीक्षा में वापस मांग लिया और सप्त ऋषि उसे वापस देकर रोने लगे अगर इस कथा को योगिक प्रोस्पेक्टिव से देखे तो समझे की जब कोई गुरु अपने शिष्य को शक्ति पाठ देता है तो वह शक्ति का अनुभव क्षण भर के लिए ही प्रदान करता है।
- अब सिद्धि है Peregrination हमारा साइंस मानता है जब हमारा सब कोन्सिऔस माइंडएक्टिव हो जाता है तब हम कुछ मिनट पहले क्या होने वाला है उसका अनुभव कर सकते है पर वो हर बार सही निकले ये जरुरी नहीं होता अपने कभी अनुभव किया होगा जब कोई भी निर्णय लेना होता है तब आपकी सहमती उसमे नहीं होती और अंत में आपको वो निर्णय सही लगता है उदहारण के तौर पे समझे तो एक कॉमन उदाहरण हमारे फ्रेंड सर्किल में कही बाहर जाने की बात करते है पर हमारी उस में सहमती नहीं होती उस असहमति के पीछे का कारण भी हमे पता नहीं होता की क्यों माना कर रहे है क्यों हमें कॉन्फिडेंस नहीं आ रहा है और क्यों हमें नहीं जाना चाहिये पर थोड़े समय के बाद हमारे मित्र उधर जाते है तो उनके साथ कुछ बुरा अनुभव होता है और तब हमें लगता है की अच्छा हुआ उधर नहीं गया था।
भगवान बुद्ध ने कहा था कोई भी इंसान जाने-अनजाने में अपनी पूरी जिंदगी में एक बार तो सभी चक्रों का इस्तेमाल कर ही लेता है पर जो योगी होते है वो अपने हिसाब से चक्र का इस्तेमाल करते है हिन्दू धर्म में एक पुराण है भविष्य पुराण इसमें अभी जो रिसेंटली इवेंट हो रहे है उनके बारे में बताया गया है जैसे कोविड, विश्वयुद्ध कोनसा देश कब सत्ता पर होगा इस बात से हम सिद्ध कर सकते हैं भविष्य पुराण वाले जो ऋषि मुनि थे उनमे ये सिद्धि हो सकती है की वो भविष्य का अनुभव कर सके, शास्त्र में एक श्लोक है अत्म्नम देहस्य विश्वास्यत इसका मतलब है की अपनी चेतना पर विश्वास करो चेतना हमेशा तुम्हे आनंद ही देगी क्योंकि मानवीय चेतना ही ईश्वर का रूप है। और ईश्वर कभी भी दुःख नहीं देता यह चेतना ही है जो हमारे साथ (commnicate)विचार करती है और हमारे विचारो के माध्यम से रास्ता दिखाती है।। अभी के ज़माने में एक ट्रेंड चल रहा है Never Give Up अगर तुम्हारी मनुष्य चेतना बोल रही है तो मत करो उस काम को, झुक जाओ उसके सामने क्योकिं इस दुनिया में चेतना(consciousness) से बड़ी कोई ताकत नहीं होती।
- अब बड़ी Ability है Midiumship चेतना बोल रही है इस काम को मत करो तो फिर मत करो उस काम को, संम्मान करो इस चेतना का क्योंकि मनुष्य में मनुष्य चेतना से बड़ी कोई ताकत नहीं होती अगर तुम चेतना को सुन रहे हो तो नेवर गिव अप वाली थ्योरी को लेकर मानवीय चेतना को अजर बना दोगे या तो फिर हमेशा तुम्हे उलटे ही रिजल्ट मिलेंगें (Peregrination ability) बस यही है जब तुम उसकी सुनने लगते हो तब वो ज्यादा प्रभावशाली हो जाती और हर पल निर्णय लेने में मदद करती है और इसे जागृत करने के दो रास्ते है एक है सोल स्टार चक्र मैडिटेशन और दूसरा है अत्म्नम देह्श्य विश्वास्यत अर्थात सम्मान करो, झुक जाओ उसके आगे क्योंकि इस दुनिया में (consciousness)चेतना से बड़ी कोई ताकत नहीं हैI
Yuval Noah Harari – (Sapiens) की एक बुक है Sapiens इस बुक में बताया गया है जो शुरुवाती साधारण मनुष्य थे या आदि मानव थे उन्हें नहीं पता था की सोचा कैसे जाता है और सोचते समय कहाँ ध्यान लगाया जाता है। तो वो लोग सोचने के समय स्वाधिष्ठान चक्र का ध्यान जो चक्र जनेद्रिया के ऊपर होता है पर लगते थे और स्वाभाविक सी बात है उनकी सोच रही की जनसँख्या में बढ़ावा करें और कुछ सेल्फ डेवलपमेंट या सिटी डेवलपमेंट के बारे में न सोचे अब स्वाधिष्ठान चक्र का काम है की हमारे विचारो को बैलेंस करे अगर हम किसी प्रिय पात्र के साथ लॉन्ग ड्राइव पर जा रहे है तो मन से हम काफी ज्यादा प्रसन्न होंगे और उस समय ऐसा लगेगा सबसे अच्छा पल यही है अगर उसी समय कोई सामने आजाता है और एक्सीडेंट होने से बच जाता है तो पेट में नाभि के नीचे कुछ गड़बड़ी सी होगी जैसे रोलेर्कोस्टर में होती है और हम पॉजिटिव सोचना बंद कर देते है बस स्वाधिष्ठान चक्र का काम ही यह है। के वो हमारे विचारो को बैलेंस करता है अगर आप बहुत ही ज्यादा पॉजिटिव सोचने लगते हो तो वो चक्र कुछ नेगेटिव विचारो को आपके मस्तिष्क में दाखिल करेगा जिसकी वजह से आप बलेंसिंग अनुभव करेंगें और दोनों बाजु से विचार करने पर मजबूर हो जायेंगें अब जो बुक में मेंशन आदि मानव थे उनहें पता नहीं था कि विचार करते समय अजना चक्र पर ध्यान दिया जाता है वो लोग ज्यादातर स्वाधिष्ठान चक्र पे ध्यान करके सोचते थे और हमेशा नेगेटिव रिजल्ट ही पाते थे अगर इसका प्रमाण देखे तो (Ancient Civilization) ने कुछ ऐसी मूर्तियों का निर्माण किया हुआ है जो देखने में काफी नकारात्मक और डरावनी दिखाई देती है। बस उसके पीछे का कारण ही यही है। की मूर्ति बनाने वाले स्वाधिष्ठान चक्र से सोचते थे और अपनी नकारात्मकता मूर्ति के माध्यम से दिखाते थे जिसे अभी कुछ लोग राक्षस, दानव और असुर बोलते हैं अब देखिये अलग अलग चक्र के अलग अलग गुण होते हैं अगर हम अजना पर ध्यान करें और सोचे तो हमे अतिशय लॉजिकल विचार आयेंगें अगर हम गले पर ध्यान करें यानि विशुद्धि चक्र तो हमे शांति के विचार आयेंगें अगर हम सेक्स के विचार करते है तब हमारा ध्यान चला जायेगा मूलाधार पे वैसे ही 114 चक्र होते है। और मनुष्य विचारो की श्रेणी भी 114 ही होती है कोई मनुष्य इस 114 की श्रेणी की बहार की श्रेणी के बारे में सोच ही नहीं सकता Medium ship ability बस यही है अगर आप का ध्यान सोल स्टार चक्र पर है या फिर उनके आस पास की पंखुडियो पर होगा तब आप सोचेंगे तो अनुभव करेंगे की आप किसी और चेतना से बात कर पारहे है बात करते समय अनुभव करेंगें की मन के अन्दर की आवाज और सामने से आरहे जवाब की आवाज आपकी की ही होगी जैसे हमने पीछे बताया की ईश्वर और आत्मा की कोई आवाज नहीं होती और उनका कोई आकार भी नहीं होता। (Midium ship ability) आपको उच्चतर आत्मा के साथ बातचीत करने की एक सिद्धि प्रदान करता है जो आपके मन में विचारो के अनुभव होते है।
7. सिद्धि है Psychokinesis अगर आपने 2019 में आई Netflix पे मूवी corean movie Psychokinesis या लूसी फिल्म अगर देखि है तो आप इसको थोडा अच्छे से समझ पाएंगे ये एक ऐसे ability है जो बहुत ही कम लोगो को प्राप्त होती है और जिसको भी प्राप्त होती है वो इस दुनिया के लोगो के सामने से चला जाता है जैसे की सात चिरंजीवी 1939 में Rassia ने एक Kirlian photography तकनीक का परिक्षण किया जिसमे ये साबित होता था की इस ब्रह्मांड में हर पदार्थ का एक ओरा है उसके आस पास के हर आखिरी पदार्थ पर प्रभावित होता है। आपने एक बात अनुभव की होगी की अगर आप कोई काम कर रहे हो और कोई प्रभावशाली व्यक्ति आपके पास आकार खड़ा हो जाये तो उनका ओरा यानि प्रभाव वो आपके ऊपर लागु होगा, ओरा के बहुत प्रकार है जैसे की मैग्नेटिक फील्ड , ग्रेविटेशनल फील्ड , मकेनिकल फील्ड , थर्मल फील्ड , केमिकल फील्ड, एनर्जी फील्ड , रेडिएशन फील्ड , नुक्लेअर फील्ड, काइनेटिक फील्ड , इलेक्ट्री फील्ड, साउंड फील्ड, पोटेंशियल फील्ड अगर हरेक फील्ड के बारे बात की जाये तो विषय बहुत लम्बा हो जायेगा तो बात करते है मैग्नेटिक फील्ड टॉपिक के ऊपर उदाहरण से समझे ये प्रथ्वी सूर्य की मैग्नेटिक फील्ड से प्रभावित होकर परिभ्रमण करती है अगर दो मैग्नेटिक फील्ड एक दुसरे के साथ कनेक्ट हो जाये तो उनमे से जो प्रभाव शाली या फिर जो बलशाली मैग्नेटिक फील्ड है दुसरे मैग्नेटिक फील्डकी के परमाणु को कण्ट्रोल कर सकता है। और उनको अपनी इच्छा के अनुसार हिला भी सकता है। आपने हिन्दू धर्म पर बनी कुछ सीरीज में देखा होगा राक्षस हमसे जायदा शक्तिशाली सिद्धियाँ प्राप्त थे पर उन्होंने अपनी सकती का प्रयोग अपने फायदे के लिए किया इस लिए वो राक्षस कह लाये कुछ लोगो ने इस सिद्धि का प्रयोग अच्छे काम के लिए किया वो भगवान कह लाये, जैसे हथियार आर्मी के पास भी है और आतंकवादी के पास भी पर उपयोग अलग अलग होता है। तो बस इस एबिलिटी के बहुत सारे फायदे हैं जैसे बिना छुए चीजों को कंट्रोल करना स्पीड की गति से यात्रा करना व वातावरण के साथ तालमेल बना कर सफ़र करना अब ये जानते है की ये सिद्धि प्राप्त कैसे होती है। पुराने समय में शिष्य गुरु के निर्देश के अनुसार इसे प्रयोग करते थे और हम भी यही सजेस्ट करना चाहेंगे की ये सिद्धि सुनने में जितनी अच्छी लगती है उतनी ही इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। इसे प्राप्त करने में, तो इसलिए –
चक्रों को जागृत करने की विधि
कृपया इसे बिना गुरु के निर्देश न करें जब एक शिष्य मैडिटेशन में बैठता है तो उसके चारो और एक गुरु और चार अनुयायी होते है जो ध्यान के दौरान मंत्रो उच्चारण और श्लोक उच्चारण करने का कार्य करते है इस के पीछे का कारण यही है की उदाहरण के तौर पर समझे जैसे किसी गहरे समुंद्र में डुबकी लगानी है और गहरे समुंद्र में जाना है तो वापस आने के लिए एक रस्सी को बंधना बहुत जरुरी होता है जो रस्सी ऊपरी सतह पर बोट से निकल रही हो और जब खराब परिस्थिति आ पड़े तो हम उस रस्सी की मदद से बहार निकल सके और अपने प्राण बचा सकें, ध्यान में जाने से पूर्व साधक कुछ योग जैसे हठयोग आदि का अभ्यास करें, व स्वयं ध्यानयोग का अभ्यास नित्य करें उसके उपरांत गुरु की आज्ञा से गुरु के निर्देश अनुसार शिष्य साधारण ध्यान में बैठकर ध्यान की मुद्रा में दाखिल होता है। दाखिल होने के बाद वह अपने मूलाधार चक्र पर ध्यान
करेगा और मूलाधार चक्र को जागृत करने का मन्त्र भी उच्चारण करेगा साथ साथ जो गुरु और अनुयायी बैठे है वो गुरु के निर्देश के अनुसार उच्चारण करेंगें जैसे की “लं” अब मूलाधार में इतनी साँस भरी जाती है की पूरा शरीर ऊपर से नीचे तक viberateकम्पन्न करने लगता है और मूलाधार में से उर्जा बाहर आजाती है बस ऐसा ही होता है मूलाधार चक्र में हमारे शरीर की सारी ऊर्जा जिसे कुंडलिनी बोलते है वह मूलाधार के अन्दर स्थापित होती है पर हम इसे सुई चुभा कर बाहर तो नहीं निकाल सकते क्योंकि यह सभी चक्र विद्युत उर्जा से बने होते है जो विचार निर्देश के अनुसार काम करते है तो इसलिए हमे इसके अन्दर इतनी हवा भरनी पड़ती है की उसकी क्षमता ही पूरी हो जाये इसे स्टोर करने की और गुब्बारे की तरह सब हवा बाहर निकल जाये पर यह काम अकेले शिष्य से नहीं हो सकता इसलिए चारो तरफ एक वृताकार में सभी मूलाधार मन्त्र का उच्चारण करते है। उनके बाद जो होता है वो बहुत ही गंभीर ध्यान होता है। इस ध्यान के दौरान शिष्य आंख खोल नहीं सकता बस उसे दिए गए निर्देश का पालन ही करना होता है जब उर्जा बाहर निकल जाये तब ऊपर उठती हुई स्वाधिष्ठान चक्र से गुजरती है उस समय इतना डर महसूस हो सकता है की जैसे कोई हॉरर movie वास्तव में चल रही हो बहुत ही नेगेटिव आवाजे सुनाई दे सकती है। यह डरावना द्रश्य हो सकता तब शिष्य आंख न खोले इस लिए स्वाधिष्ठान शांत करने के लिए गुरु का और उनके अनुयायी स्वाधिष्ठान मन्त्र का उच्चारण करेंगें वं पतंजलि योग सूत्र के अनुसार यदि स्वाधिष्ठान की उर्जा को नियंत्रित करना है उर्जा को स्वीकार करें और दिल में एक प्रेम ज्योति जलाएं और उसे प्यार से देखें अब उर्जा उठेंगी मणिपुर में अगर हमारा पेट खाली है तो कोई संशय नहीं और अगर पेट खाली न हो तो चक्र शरीर से मल मूत्र भी निकाल सकता है जब उर्जा ऊपर आयेगी तब अनाहत चक्र में स्थित होगी अगर आपको अनाहत चक्र का एक दम सही स्थान जानना है तो गूगल कीजये thymus gland location उर्जा अनाहत में स्थित होगी और हमे ऐसा अनुभव होगा जैसे हमारी छाती ऊर्जा से फूल गयी हो और किसी को ऐसा भी अनुभव हो सकता है। की छाती फट के उर्जा बाहर निकल जाये । जैसे रामायण में हनुमान जी ने कैसे अपनी छाती चीर कर भगवान दिखाए थे बस उसके पीछे का योग पर्सपेक्टिव यही है कि अंदर की ऊर्जा जिसे आप कोई भी नाम दे सकते हैं कोई राम कहता है। कोई शिव कहता है। या फिर कोई उसको अल्लाह कहता है। अगर इस उर्जा को भी नियंत्रण किया जाये तो ये उर्जा आगे जाएगी विशुद्धि चक्र में इसमें भी प्रक्रिया वही होती है साँस भरो और मन्त्र उच्चारण और बाहरी मन्त्र उच्चारण का अपने शरीर प्रभाव पड़ने दो क्योंकि हमारा पूरा शरीर भी कान की तरह सुनता है श्वास देकर चक्र को शांत किया जाता है और उसे viberate किया जाता है vibration के दोरान कुछ चीजें महसूस हो सकती है जैसे की मुह से कुछ उलटना और मस्तिक में vibrate होना अपना साँस अन्दर लेते समय (सो) बाहर छोड़ते समय (हम) बोलना(सोSहम) है ये जानकारी शास्त्रों के द्वारा है आगे गुरु मन्त्र को सुनते जाना है और अंत में इतनी शांति का अनुभव हो सकता है की अपने पुरे जीवन में कभी महसूस नहीं किया होगा हिन्दू धर्म में भगवान शिव की एक प्रतिमा है उसे नीलकंठ महादेव बोलते है इसके पीछे का योगिक साइंस यही है जो नीला रंग दिखाया है वह बहुत ही ठंडा और बहुत ही उम्दा शांति का प्रतीक है अब शिष्य के पास दो विकल्प होते है अगर वह डर गया है तो ध्यान से बाहर आ सकता है या फिर आंखे बंद करके आगे भी जा सकता है क्योंकि हर कोई इस अनुभव को झेल नहीं पाता है इस लिए यह प्रक्रिया पब्लिक प्लेट फॉर्म पर नहीं मिलती पब्लिक प्लेट फॉर्म पर ज्यादातर व्यापर की दृष्टि से ही सब सिखाया जाता है कुछ ही गिने चुने स्मृति शास्त्र है जैसे हटयोग प्रदीपिका जो समाधि से भी ऊपर के चक्र के बारे में है पर उसमे भी इतना विस्तार में नहीं बताया गया है अब अगर शिष्य आगे जाये तो शांति के अनुभव के बाद उर्जा स्थापित होगी अजना चक्र में जैसे आगे हमने बताया की कान के तीन भाग होते है बाह्य, मध्यमा, आन्तरिक ऐसे ही अजना के भी तीन भाग होते है भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था अर्थात अगर बहार की दुनिया के बारे में जानना तो अपनी नाक की नोकीले भाग पर ध्यान दो अगर आन्तरिक दुनिया के बारे में समझना है तो अपनी आँखों के बीच में अन्दर वाले भाग में ध्यान देना है समाधि के आगे की महा समाधि और दूसरे अनुभवों की तो बात ही बहुत दूर है
भगवान श्री कृष्ण एक गुरु है और गुरु हमेशा रास्ता दिखाता है। चलना हमको ही पड़ता है।
जैसे हम आंतरिक अजना चक्र पर ध्यान करते हैं हमारा ध्यान चला जाता है हमारे पिनैय्ल ग्लैंड के ऊपर अपनी उर्जा को देख सकेंगे वो इस प्रकार से दिखाई देंगी की एक बहुत ही शक्ति शाली बालक की जिस के पास बहुत सारी शक्ति आगई है। और सब कुछ तबाह करने के लिए तैयार है या फिर बहुत ही अशांत है जैसे हनुमान अपने बचपन में थे फिर शिष्य इस उर्जा को गहरी साँस लेगा और इस मन्त्र का उच्चारण करेगा ॐ अब उर्जा शांत होने के बाद उर्जा को ऊपर उठाया जायेगा सहस्त्रार में अब शरीर से बाहर आने की सही विधि शुरू होती है इस चक्र पर हमें समाधि महसूस होने लगेगी जैसे की परम शांति जैसे विशुद्धि चक्र पर शांति का अनुभव हुआ था वैसे ही इधर परम शांति का अनुभव हो सकता है। कुछ अनुभव है। जैसे की श्वास बंद हो जाना बाहर की आवाज बहुत ही न्यूनतम हो जाना एक ब्राइट लाइट का दिखाई पड़ना और सभी विचारों का बंद हो जाना इस समय गुरु और अनुयाई का असली काम शुरू होता है कि अगर कुछ भी गलत आपको लगे तो आवाज को सुनकर और उसे रस्सी की तरह पकड़ कर बाहर आ सकते हैं अब जो हमारी कुण्डलिनी वो सांप की तरह ऊपर उठेगी और उस चक्र पर श्पर्श करेगी जहाँ पर हमारा ध्यान है ऐसा अनुभव होगा की लेफ्ट वाला जो ब्रेन है वह नीले रंग का और राइट वाला जो ब्रेन है वह सफेद रंग का अनुभव होगा और बाहर की जो आवाज हो रही है वह आपको बहुत ही न्यूनतम सुनाई देगी उदाहरण के तौर पर आप पानी के अंदर हैं और बाहर की आवाज कम सुनाई दे बस उसी समय रिहड की हड्डी सीधी हो जाएगी अगर आप शरीर को उनके फ्लो में आगे बढ़ाने देते हैं और अपना कंट्रोल शरीर पर से कुछ समय के लिए हटा देते हैं तो अनुभव होगा की मूलाधार से सहस्त्रार के बीच एक सफ़ेद रंग की उर्जा का खम्बा खड़ा है। जिसे सनातन धर्म में धर्म स्तम्भ कहते हैं जो बहुत ही ठंडा और बहुत ही शांत होता है अब इस स्टेज पर भी आपको मौका मिलता है बाहर निकलने का और वो पूरा हमारे कंट्रोल में ही होता है अगर हमें और आगे जाना है तो थोडा सा फिजिकल सपोर्ट देकर आगे बढ़ना पड़ता है जैसे गुरु शिष्य को अंगूठा रख के शक्ति पाठ देते है उसी तरह शिष्य अपने दोनों अंगूठो को अपने अजना चक्रो पर रखते है और दबाते है जिससे उर्जा आगे सोल स्टार चक्रों में बढ़ सके और ये सभी प्रक्रिया अपने आप होती है हमे बस अपने शरीर को उनके फ्लो में बढ़ने देना है और शरीर को एकदम लूज करके रखना है जैसे अब उर्जा सोल स्टार चक्र की तरफ बढ़ेगी तब गोल्डन ब्लैक कलर का गोला आपको प्रतीत होगा इस समय हमे कोई व्यवधान नहीं पहुचना चाहिये क्योंकि इस समय हम शरीर के बाहर होते है। आगे बात करें तो श्रीमद भगवत पुराण में बताया है की जब गुरु सांदीपनी भगवान कृष्ण और बलराम को इस विधि के बारे में सीखा रहे थे तब वह बोलते हैं कि सूक्ष्म शरीर से यात्रा करने के लिए इस पञ्च भुत से बने स्थूल शरीर को सुरक्षित स्थान पर रखो अन्यथा बहुत ही बड़ा अनअर्थ हो सकता है। सोल स्टार चक्र पर ध्यान ऐसे ही लगाना है जैसे
शरीर के सात चक्र पर लगाया जाता है इस समय का अनुभव बहुत अलग प्रकार का हो सकता है जैसे हमारा शरीर मर गया और हम बाहर निकल गए हो बाहर की आवाज बहुत ही कम सुनाई देती है ऐसा समझे कि आप समुद्र की गहरी तलहटी में पहुंच गए हो और बाहर की तलहटी बहुत कम दिखाई दे रही हो सेफ्टी के लिए बस हमारे पास एक रस्सी ही हो शिष्य के लिए गुरु का मन्त्र जाप सोल स्टार के ऊपर भी और पांच चक्र होते है जिसके बारे में फिर कभी चर्चा करेंगे आध्यात्मिक यात्रा अनंत है भगवान विष्णु और ब्रह्मा को भी अंत नहीं मिला क्योंकि अध्यात्मिक यात्रा अंनत है। अब कुछ देर वहां पर रहने के बाद शिष्य बाहरी आवाज पर ध्यान देकर धीरे धीरे अपने कानों से आवाज पड़कर अपने शरीर में वापस प्रवेश कर लेता है और धीरे से आंख खोल कर इस बाहरी दुनिया में आ सकता है।
इस अभ्यास को करने के बाद भी कुछ विधि होती है जैसे कि अपने मूलाधार को स्वस्थ करना और सभी चक्र की सफाई जिसमें गुरु निर्देश , सिंगींग बाउल, मंत्र जाप, छः चक्रीय मैडिटेशन और कुछ आयुर्वेदिक तेल भी प्रयोग कर सकते हैं अन्यथा मानसिक अस्थिरता हो सकती है ध्यान रखें सिद्धि एक बार में प्रयोग करने से नहीं मिलेगी बार बार 45 दिनों तक गुरु के निर्देशन के अनुसार अभ्यास करने के बाद कुछ सिद्धि हमे महसूस हो सकती है। तो अब हमने सिखा के अर्थ् स्टार और सोल स्टार चक्र को जागृत करने के लिए हमे कोन सी विधि का प्रयोग करना चाहिये और इनसे हम कोनसी सिद्धियाँ प्राप्त कर सकते हैं। जैसे अर्थ स्टार चक्र को जागृत करना हेतु पावं के पास दीपक जलाएं और पावं के सेंसिटिव भाग पर ध्यान करें 45 दिनों तक अभ्यास करने से कुछ एबिलिटी प्राप्त हो सकती है। जैसे कि इस धरती से कनेक्ट होना शरीर में रोग न नाश, वातावरण के बारे में भविष्यवाणी करना जैसी सिद्धियाँ
सोल स्टार चक्र जैसी सिद्धियाँ बहुत ही जटिल हैं इन्हें गुरु के निर्देश के बिना नहीं करनी चाहिये सोल स्टार से ऐसी सिद्धियाँ मिल सकती है जैसे भविष्य की चीजे देखना, ऐसी चीजे सुनना जो audible न हो , कुछ ऐसी चीजों को अनुभव करना जो खास जगह पर ही होती हैं , telepathy मुहँ खोले बिना ही किसी से बात करना, भविष्य होने वाली घटना को महसूस करना , बिना छुए ही पदार्थ को हिलाना और आखिरी है
- Midium ship जिसका मतलब है हायर डायमेंशन में कनेक्ट होना और अंत में यही कहना चाहूँगा की मनुष्य चेतना से बड़ी इस दुनिया में कोई ताकत नहीं है। मोटिवेशनल बात करने वाले लोगों के चक्कर में मत पड़े वो लोग आपको हमेशा ऐसा काम करने को प्रेरित करेंगे कि जिस काम में हमेशा उनका ही फायदा हो और आप मोटिवेशन के नशे में हमेशा धुत होकर जानवर की तरह काम करते रहेंगे और कैसे जीना है वही भूल जाओगे वो लोग तुम्हें कभी नहीं बोलेंगे कि मैं जो काम कर रहा हूं वो करो वो हमेशा बस यही कहेंगे कुछ अलग करो कुछ नया करो उससे अच्छा है कि अपने आप को पहचानो आपको क्या पसंद है। और क्या काम करने के लिए आप बने हो बस वही काम करो। एलोन मस्क को देख कर प्रभावित मत हों खुद को फोलो करो। क्योंकि – मीरा कहे प्रेम बिना पावें नहीं, भले हुनर करे हज़ार, कहे प्रीतम प्रेम बिना ना मिले नन्द कुमार । जरा अपनी हाथो की फिंगर प्रिंट और पेटर्न देखो कितनी rythem और कितनी systmatic है इस जगत की सभी चीजे rythem में हैं। बस हमे भी उसी rythem में सेट होना है। इसलिए हमेशा अपने दिल की सुने अपने आप को कभी इतने कष्ट में मत डालिये की आपकी चेतना जानवर बन जाये और आप आध्यात्मिक जगत को अनुभव ही ना कर पायें। प्रेम करो इस जीवन को सम्मान करो इस उर्जा का क्योंकि इस दुनिया में जो प्रेमी ने अनुभव किया वो कभी योगी न कर सके।
FAQ –
प्रश्न – चक्र कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर – मुख्यतः हमारे शरीर में 7 प्रकार के चक्र होते हैं परन्तु हमारे शरीर में शरीर में कितने चक्र हो सकते हैं इसका भी ठीक ठीक अनुमान नहीं हो पाया है किन्तु ऊर्जा चिकत्सको और ज्ञानी जानो के द्वारा चक्रो की संख्या 114 बताई गई है जिसमे की 12 चक्र प्रमुख हैंI
प्रश्न – क्या वैज्ञानिक 7 सात चक्रों को मानते है?
उत्तर – जी हाँ कुछ वैज्ञानिको ने अपनी खोज में ये पाया है खास कर उर्जा चिकित्सको ने कि एक निश्चित आवृत्ति(freequency) पर हमारा शरीर कम्पन्न करता है। कम्पन्न का नियम आकर्षण का नियम और योग्यता के नियम को सक्रिय करता है आप अपने शरीर में मौजूद भावनाओ से जो कुछ भी भेजते है उसे आकर्षित करते है।
Emotion: भावना | Frequency आवृति |
Enlightment प्रभोधन | 700+ Hz |
Peace शांति | 600 Hz |
joy आनंद | 540 Hz |
love प्यार | 500 Hz |
Reason कारण | 400 Hz |
Acceptance स्वीकृति | 350 Hz |
Willingness इच्छा | 310 Hz |
Neutrality तटस्थता | 200 Hz |
Courage साहस | 175 Hz |