गणेश चतुर्थी 2023
गणेश चतुर्थी मंगलवार, सितम्बर 19, 2023 को
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – 11:01 ए एम से 01:28 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 27 मिनट्स
गणेश विसर्जन बृहस्पतिवार, सितम्बर 28, 2023 अनंत चतुर्दशी को
चन्द्रदर्शन वर्जित समय
एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – 12:39 पी एम से 08:10 पी एम, सितम्बर 18
अवधि – 07 घण्टे 32 मिनट्स
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – 09:45 ए एम से 08:44 पी एम
अवधि – 10 घण्टे 59 मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 18, 2023 को 12:39 पी एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – सितम्बर 19, 2023 को 01:43 पी एम बजे
गणेश चतुर्थी 2023
गणेश चतुर्थी मंगलवार, सितम्बर 19, 2023 को –
– गणेश चतुर्थी 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रप्रद माह में शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी दिन मंगलवार, मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – 11:01 ए एम से 01:28 पी एम को यह पर्व भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है।
भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में आता है।
गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन मूर्ति विसर्जन के उपरांत समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़कों पर शोभा-यात्रा निकालते हैं तथा गणपति-बप्पा मोर्य का जय घोष करते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा को सरोवर, झील, नदी, समुंद्र इत्यादि में विसर्जित करते हैं।
गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल अर्थात दोपहर को हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजन के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। भक्त-गण अपने घरो में भगवान् गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं व कुछ लोग सामूहिक व्यवस्थाओं में बड़े-बड़े पंडालो में एकत्र होकर इस उत्सव को मानते है। मध्याह्न मुहूर्त में, भक्त-गण पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है। भक्त-गण फल-फूल, दूर्वा घास, लड्डू व मोदक भगवान गणेश को अर्पण कर उनकी आराधना करते हैं और प्रसाद, नारियल, मोदक का भोग लगाया जाता है। ढोल-ताशे व अन्य वाद्य यंत्र बड़ी-संख्या में लोगो द्वारा बजाये जाते हैं। सभी लोग पंडालो और मंदिरों में एकत्र होतें हैं और यह उत्सव देर रात्रि तक मनाया जाता है। और देर रात्रि तक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है यह भगवान गणेश को अतिथि के रूप में अपने घरों में व सामूहिक स्थानों पर स्थापित कर गणेश-उत्सव को मानते हैं।
गणेश चतुर्थी पर निषिद्ध चन्द्र-दर्शन
गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्जित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या आरोप लगता है जिसकी वजह से इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से चोरी या किसी कलंक का झूठा आरोप सहना पड़ता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर भी स्यमन्तक नाम की कीमती मणि को चोरी करने का झूठा आरोप लग गया था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की दयनीय स्थिति देख कर, नारद ऋषि ने उन्हें सारा वृतांत बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देख लिया था जिसकी वजह से उन पर यह मिथ्या दोष का श्राप लगा है।
नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे जब पूरा वृतांत बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गये।
मिथ्या दोष निवारण मन्त्र
चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो जातें है। हिन्दूधर्म के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध माना जाता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्जित होते हैं।
अगर भूलवश से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये –
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
Simhah Prasenamavadhitsimho Jambavata Hatah।
Sukumaraka Marodistava Hyesha Syamantakah॥
गणेश चतुर्थी को भूलवश चन्द्रदर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष निवारण के लिए क्षमा-प्रार्थना करते हुए इस मन्त्र का उच्चारण अवश्य कर लेना चाहिये इस दोष से बचने के लिये।
गणेश चतुर्थी के दिन का पञ्चाङ्ग गणेश चतुर्थी के दिन का चौघड़िया मुहूर्त
गणेश चतुर्थी 2023 अन्य शहरों में गणेश चतुर्थी मुहूर्त
11:15 ए एम से 01:41 पी एम – पुणे
11:01 ए एम से 01:28 पी एम – नई दिल्ली
10:50 ए एम से 01:16 पी एम – चेन्नई
11:07 ए एम से 01:34 पी एम – जयपुर
10:57 ए एम से 01:23 पी एम – हैदराबाद
11:02 ए एम से 01:29 पी एम – गुरुग्राम
11:03 ए एम से 01:30 पी एम – चण्डीगढ़
10:17 ए एम से 12:44 पी एम – कोलकाता
11:19 ए एम से 01:43 पी एम – मुम्बई
11:01 ए एम से 01:26 पी एम – बेंगलूरु
11:20 ए एम से 01:43 पी एम – अहमदाबाद
11:01 ए एम से 01:28 पी एम – नोएडा
अन्य सभी शहरों के लिये दिये गये मुहूर्त का समय सम्बन्धित शहरों का स्थानीय समय ही माना जायेगा है।
अन्य वर्षों में गणेश चतुर्थी का दिन
2023 – मंगलवार, 19 सितम्बर
2024 – शनिवार, 7 सितम्बर
2025 – बुधवार, 27 अगस्त
2026 – सोमवार, 14 सितम्बर
2027 – शनिवार, 4 सितम्बर
2028 – बुधवार, 23 अगस्त
2029 – मंगलवार, 11 सितम्बर
2030 – रविवार, 1 सितम्बर
FAQ –
प्रश्न -गणेश चतुर्थी कब है 2023 मुहूर्त?
उत्तर – गणेश चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त और शुभ योग हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रप्रद माह में शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी दिन मंगलवार, मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – 11:01 ए एम से 01:28 पी एम को यह पर्व भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है। 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।
प्रश्न –गणेश मूर्ति को घर पर कब लाएं 2023?