यदि शुभ मुहूर्त तिथियाँ हमें पता हों और उनमे शुभ कार्य किए जाएं तो वे सफल होते हैं। इसके विपरीत अशुभ योगों में किए गए कार्य असफल होते हैं और उनका फल भी अशुभ होता है। इन शुभ व अशुभ योगों का निर्माण किन तिथियों, वारों व नक्षत्रों के संयोग से होता है इसका विवरण यहां प्रस्तुत उक्त वारों और नक्षत्रों के योग से सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है। इस योग में होने वाला कार्य सफल होता है। उक्त तिथियों व वारों के संयोग से सिद्धि योग का निर्माण होता है। इस योग में आरंभ किए गए कार्य की सफलता की संभावना प्रबल होती है।
अमृत योग रविवार को हस्त नक्षत्र में, सोमवार को मृगशिरा, मंगलवार को अश्विनी, बुधवार को अनुराधा, गुरुवार को पुष्य, शुक्रवार को रेवती और शनिवार को रोहिणी नक्षत्र में अमृत योग का निर्माण होता है। यह एक सर्वांगीण सिद्धि कारक योग है।
रवि पुष्य योग: रविवार को पुष्य नक्षत्र होने पर यह योग बनता है। यह योग विवाह को छोड़कर अन्य सभी कार्यों में शुभ कारक होता है।
गुरु पुष्य योग: गुरुवार को पुष्य नक्षत्र हो तो गुरु पुष्य योग बनता है। यह योग व्यापार आदि कार्यों में अधिक फलदायी होता है।
राज्यप्रद योग दिन तिथियां मंगलवार 4, 9, 14 शनिवार 4, 9, 14 यह योग नाम के अनुसार फल देता है।
आम तोर पर 4,9,14 को शुभ कार्य करने के लिए वर्जित माना गया है
जिस प्रकार इन शुभ योगों का निर्माण होता है उसी प्रकार अशुभ योग भी बनते हैं, जिनका उल्लेख नीचे किया जा रहा है। अन्य अशुभ योगों की भांति
यमघंट योग भी शुभ कार्यों हेतु सर्वथा त्याज्य है। यात्रा के लिए तो यह योग विशेष रूप से अशुभ है, इसीलिए इस योग में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
इस तरह भारतीय ज्योतिष में एक तरफ कार्यारंभ के लिए अनेक शुभ योगों का विधान किया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ अनेक अशुभ योगों का उल्लेख है, जिनमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
कार्यों की सफलता के लिए उक्त शुभ योगों का पालन करना चाहिए
शुभ मुहूर्त तिथियाँ ज्ञात करने की सरल विधि –
आइये सिखतें हैं divinepanchtatva.com में
विक्रमी संवत के अनुसार
१ – प्रथमा/ प्रतिपदा
२ – दिव्तीय
३ – तृतीय
४ – चतुर्थी
५ – पंचमी
६ – षष्टी
७ – अष्टमी
९ – नवमी
१० – दशमी
११ – एकादशो
१२ – द्वादशी
१३ – त्रयोदशी
१४ – चतुर्थदशी
१५ – पूर्णिमा / ३० – अमावस्या शुक्ल पक्ष/ कृष्णपक्ष की तिथियाँ
यहाँ पढ़े पसंद – स्वर शास्त्र किस स्वर में करें कोन सा शुभ कार्य
शुभ – मुहर्त तिथि
नंदा > नया व्यापर, व्यवसाय, भवन निर्माण के कार्य अत्यंत शुभ हैं।
भद्रा > अनाज़ ख़रीदना, वाहन ख़रीदना, गाय-भैंस ख़रीदना अतंयत शुभ माना जाता है।
जया > कोर्ट कचहरी के मामले निपटाना, शस्त्र खरीदना, युद्ध अभ्यास करना शुभ माना गया है।
रिक्ता > गृहस्थो के लिये अशुभ तिथि हैं। तंत्र मंत्र विधि के लिये उपयुक्त है।
पूर्णा तिथि > विवाह के लिये शुभ, यज्ञ-हवन, भोज के आयोजन के लिये अत्ति शुभ है।
तिथि के प्रकार
तिथि | तिथि | तिथि | शुक्लपक्ष/कृष्णपक्ष | |
नंदा | 1/प्रथमा/प्रतिपदा | 6/षष्टि | 11/एकादशी | दोनोंपक्षों की तिथि |
भद्रा | 2/दि्व्तीया/ | 7/सप्तमी | 12/दुवाद्शी | दोनोपक्षों की तिथि |
जया | 3/ तृतीया | 8/अष्टमी | 13/त्रयोदशी | दोनोपक्षों की तिथि |
रिक्ता | 4/चतुर्थी | 9/नवमी | 14/चतुर्दशी | दोनोंपक्षों की तिथि |
पूर्णा | 5/पंचमी | 10/दशमी | 15/30पूर्णिमा | शुक्लपक्ष की तिथि |
पूर्णा category की तिथि सिर्फ शुक्ल पक्ष में ही consider की जायेगी।
शुक्ल पक्ष की तिथियां जो अशुभ मानी जाती हैं
क्योंकी अमावस्या के बाद जो तिथि प्रतिपदा(प्रथमा), दियुतिया, तृतीय,चतुर्थी, एवं पंचमी को चंद्रमा का आकार बहुत छोटा होता है इसलिए इन तिथियों को अशुभ तिथि में रखा जाता है।
6षष्टी से 10दशमी तिथि बलि(अच्छी) मानी जाती है।
11वी एकादशी से पूर्णिमा पूर्ण बलि को अच्छा माना जाता है।
कृष्ण पक्ष की तिथियाँ – प्रथमा, दिव्तीया, तृतीय, पंचमी, शुभ बलि माना जाता है।
षष्टी व् दशमी तिथि मध्यमा बलि माना जाता है
11एकादशी तिथि अमावस्या तक अशुभ मानी जाती है ये तिथियाँ ।
हिंदू धर्म में लोग कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त जरूर देखते हैं या फिर किसी पंडित या ज्योतिषी से ज़रूर दिखाते हैं परन्तु समय एवं पंडित व् गुरु जन के आभाव में दैनिक जीवन में कई कार्य करते हैं अतः इस विधि से आप अपने कार्यो को सुनियोजित कर सकते हैं आशा करते है की अपने गुरु जनों के ज्ञान के द्वारा हम इस विषय पर और श्रंखला लाते रहेंगे।
FAQ
Ques अशुभ तिथियों का पता कैसे करे?
Ans अशुभ तिथि आम तिथियों के अनुसार 4,9,14 को कोई शुभ कार्य नहीं करते है जब तक की कोई अच्छा योग न चले हाँ अगर अमृत योग,स्वार्थसिद्ध योग आदि योग इन तिथियों में आजायें तो यह अपना पूर्ण अच्छाफल देते हैंI
प्रश्न -सबसे अच्छा मुहूर्त कौन सा होता है?
उत्तर – अमृत काल/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं। ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व यानि लगभग दो घंटे पहले होता है। ब्रह्म मुहूर्त में ईश्वर सौभाग्य प्रदान करते हैं यह समय योग साधना और ध्यान करने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है।
प्रश्न – गाय-भैंस और वहाँ खरीदनें के लियें कौन सा महूर्त है?
उत्तर – भद्रा तिथि अर्थात 2/दि्व्तीया/7/सप्तमी12/दुवाद्शी दोनों पक्षों शुक्ल-कृष्ण पक्ष को अनाज़ ख़रीदना, वाहन ख़रीदना, गाय-भैंस ख़रीदना अतंयत शुभ मुहुर्त व तिथियाँ मानी जाती है।