सावन में शिव दक्षेश्वर महादेव के नाम से पूजे-जाते हैं

सावन में शिव दक्षेश्वर महादेव के नाम से पूजे-जाते हैं – भगवान् शिव का विवाह माता सती के साथ हुआ था। जो स्थान आज भी पौराणों के अनुसार हरिद्वार के कनखल में दक्षेश्वर महादेव के नाम से स्थित है। माता सती को माँ पार्वती का ही स्वरुप माना जाता है। जो स्वयं शक्ति का ही रूप कही जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ सती ने हवन कुण्ड में अपनी आहुति देने के पश्चात जब भगवान् शिव माँ के विक्षप्त देह को उठाकर घूम रहे थे, तब ही 51शक्तिपीठों का उद्गम हुआ जो की माँ की देह से ही उत्पन्न हुई हैं।

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माँ सती ने दक्ष प्रजापति की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने भगवान् शिव को पति के रूप में पाने के लिये कठोर तप किया। व माता सती के दृढ निश्चय के कारण माता पिता को उनका विवाह भगवान शिव से करना पड़ा। भगवान शिव के ससुर और माता सती के पिता दक्ष प्रजापति महादेव को कभी पसंद नहीं करते थे। 

अब आगे https://divinepanchtatva.com/ में जानेंगे कि कौन थे राजा दक्ष और वह शिवजी को क्यों नहीं पसंद करते थे। 

सावन में शिव दक्षेश्वर महादेव के नाम से पूजे-जाते हैं

सावन में भगवान् शिव दक्षेश्वर महादेव के रूप में पूजे जातें हैं — 

सावन में शिव दक्षेश्वर महादेव के नाम से पूजे-जाते हैं हैं। हरिद्वार स्थित कनखल की दक्ष नगरी में। ऐसा क्या हुआ की शिव जी को दक्ष के यहाँ एक माह के लिये रहना पड़ता है। भगवान शिव ने दक्ष को माता सती के हवन कुण्ड में समाने के बाद भी दक्ष के यहाँ श्रावण महीने में रहने का वरदान दिया, ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। शिव जी को सावन माह इसलिए भी प्रिय है, वैदिक ग्रंथों में भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। माता पार्वती से विवाह से पहले भगवान शिव का विवाह माँ सती से हुआ जो की राजा दक्ष की पुत्री थी, अब आगे जानते हैं की – 

राजा दक्ष प्रजापति कौन थे?

दक्ष प्रजापति एक प्रतापी राजा थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र थें और उनका जन्म ब्रह्मा जी के अंगूठे से हुआ। दक्ष प्रजापति सृष्टि निर्माता और ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में जन्म हुआ। इनकी दो पत्नियाँ थी, दक्ष प्रजापति का विवाह अस्कनी और प्रसूति से हुआ था। राजा दक्ष के दो पुत्र व 84 कन्यायें थीं। की सबसे छोटी पुत्री का नाम सती था। सती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह बात राजा दक्ष को बिल्कुल पसंद नहीं आई।

राजा दक्ष भगवान शिव को क्यों पसंद नहीं करते थे?

राजा दक्ष के राज्य में जो भी भगवान शिव का नाम लेता था वह उससे क्रोधित हो जाते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष और भगवान शिव के बीच कड़वाहट के तीन कारण थें। एक पौराणिक कथा के अनुसार प्रारंभ में ब्रह्मा के पांच सिर थे। ब्रह्मा के तीन सिर सदैव वेदों का पाठ करते रहते, लेकिन उनके दो सिर वेदों को भला-बुरा कहते थे। इस आदत से भगवान शिव हमेशा क्रोधित रहते थे, फिर एक दिन इससे क्रोधित होकर उन्होंने ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया। यही कारण था की दक्ष प्रजापति अपने पिता ब्रह्मा का सिर काटने के कारण भगवान शिव से क्रोधित रहने लगे थे।

पहला कारण

दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रदेव(चंद्रमा) से किया। दक्ष की 27 पुत्रियों में रोहिणी सबसे सुंदर थी। चंद्रदेव उनसे सबसे अधिक प्रेम करते थे और बाकी 26 पत्नियों की उपेक्षा करते थे। जब राजा दक्ष को इस बात का पता चला तो उन्होंने चंद्रदेव को आमंत्रित किया और विनम्रतापूर्वक चंद्रदेव को इस अनुचित भेदभाव के प्रति आगाह किया। चंद्रदेव ने वचन दिया कि वह भविष्य में ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे।

परन्तु चंद्रदेव ने अपना भेदभावपूर्ण व्यवहार जारी रखा। दक्ष की पुत्रियां अपना तिरस्कार सह नहीं पाई, और यह बात उन्होंने दुःखी होकर अपने पिता को फिर बताई। इस बार दक्ष ने चंद्रलोक जाकर चंद्रदेव को समझाने का निश्चय किया। प्रजापति दक्ष और चंद्रदेव के बीच बात इतनी बढ़ गई कि अंत में क्रोधित होकर दक्ष ने चंद्रदेव को कुरूप होने का श्राप दे दिया।

श्राप के कारण चंद्रमा की सुंदरता दिन-प्रति-दिन कम होने लगी। एक दिन जब नारद मुनि चंद्रलोक पहुंचे तो चंद्रमा ने उनसे इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। नारद मुनि जी ने चंद्रमा को इस श्राप से मुक्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने को कहा। चंद्रमा ने वैसा ही किया और भगवान शिव ने उन्हें श्राप मुक्त कर दिया।

दूसरा कारण – भगवान शिव का दक्ष के सम्मान में न उठना 

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार यज्ञ का आयोजन हो रहा था जिसमें सभी देवी-देवता पहुंचे थे। इस यज्ञ में जब राजा प्रजापति पहुंचे तो सभी देवी-देवताओं और अन्य राजाओं ने खड़े होकर राजा दक्ष का स्वागत किया। परंतु शिवजी ब्रह्माजी के पास ही बैठे रहे। यह देखकर राजा दक्ष ने इसे अपना अपमान समझा और शिव के प्रति अनेक अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। दोनों के बीच दरार की ये अहम वजह है।

तीसरा कारण राजा दक्ष भगवान शिव को सती के योग्य नहीं मानते थे

प्राचीन कथा के अनुसार पार्वती जी का जन्म पहले राजा दक्ष के यहां माता सती के स्वरुप में हुआ था। सती के रूप में माता पार्वती भगवान महादेव से ही विवाह करना चाहती थीं, लेकिन सती के पिता राजा दक्ष को लगता था कि भगवान शिव सती के योग्य नहीं हैं। इसी कारण से जब उन्होंने अपने राज्य में सती के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था तो शिवजी को आमंत्रित नहीं किया।

हालांकि, सती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था। माता सती महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करती रहीं। और स्वयंवर में सती ने भगवान शिव का नाम लेकर पृथ्वी पर वरमाला डाल दी। तब शिव स्वयं वहां प्रकट हुए और सती द्वारा फेंकी गई माला को पहन लिया। इसके बाद महादेव ने सती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया और उन्हें लेकर वहां से चले गए। राजा दक्ष को यह बात पसंद नहीं थी कि सती ने उनकी इच्छा के विरुद्ध शिव से विवाह कर लिया था।

 

जब राजा दक्ष ने अपने यहाँ अनुष्ठान में माँ सती को निमत्रण न देने से क्रोधित माता सती ने शिव गण से यज्ञ भंग करा दिया और स्वयं यज्ञ कुण्ड में कूद गयी। फिर भगवान शिव को जब पता चला तो भगवान शिव रोद्र रूप में माता सती की देह को लेकर तांडव करने लगे और और तब घबराये देवताओं के आग्रह पर श्री हरी विष्णु जी के सुदर्शन चक्र से माँ की देह 51 शक्तिपीठ में विभाजित हो गयी। और फिर जब शिव जी का क्रोध शांत हुआ तो शिव जी ने दक्ष का सर धड़ से अलग कर दिया। उनकी पत्नी और सबके आग्रह के बाद शिव जी ने दक्ष को एक भेढ़ का सर लगा दिया उसके उपरांत जब दक्ष को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने शिव जी क्षमा मांगी जिससे शिव जी ने उनका सर पुनः लौटा दिया इस पर दक्ष ने भगवान शिव से अपने नगर कनखल में रुकने का आग्रह किया तो शिव जी ने राजा दक्ष को केवल सावन माह में कनखल में ही रहने का वरदान राजा दक्ष को दिया। इसलिए कहते है की भगवान् शिव सावन में अपनी ससुराल में एक माह के लिए विराजमान होतें हैं। 

 

FAQ –

प्रश्न – सावन में भगवान शिव का निवास कहा पर होता है?

उत्तर – भगवान् शिव दक्षेश्वर महादेव के नाम से पूजे-जाते हैं उनका निवास सावन माह में दक्ष प्रजापति की नगरी कनखल अपनी ससुराल में होता है। दक्ष के आग्रह पर शिव जी ने उन्हें यह वरदान दिया था। 

 

प्रश्न – माता सती व माँ पार्वती कौन हैं?

उत्तर – माता सती व माँ पार्वती स्वयं आद्य शक्ति हैं और माता सती ही 51 शक्ति पीठ के रूप में विद्यमान हैं।

 

प्रश्न – माता सती ने यज्ञ-कुण्ड में अपनी आहुति क्यों दे दी?

उत्तर – माता सती को जब पता चला की उनके पिता के द्वारा उनके नगर में एक अनुष्ठान हो रहा है, जिसमे उनकी सभी बहने व देवी-देवता आमंत्रित हैं, परन्तु उन्हें कोई निमंत्रण नहीं दिया गया तो वह अत्यंत क्रोधित हो गयी और शिव जी के मना करने के बाद भी वह दक्ष के अनुष्ठान में चली गयी और वहाँ अपना तिरस्कार सहन नहीं कर सकी और उन्होंने अपने प्राणों की आहुति यज्ञ-कुण्ड में ही दे दी।   

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