Kawad Yatra 2023 हरिद्वार से ही क्यों जल उठाते हैं कांवडिय़ें, जानें कांवड़ यात्रा का महत्व

श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है। 4 जुलाई 2023 से सावन की शुरुआत हो रही है। श्रावण में भगवान् शिव को जल चढ़ाने और सोमवार का व्रत करने से महादेव भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पुरी करतें हैं। इस साल का सावन बहुत ही खास है। अधिकमास होने से श्रावण मास दो महीने का होगा जिसमें 59 दिन हैं। सावन के महीने  में 8 सोमवार के व्रत पड़ रहे हैं। इन दिनों कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व होता है। शिव भक्त कांवड़ यात्रा करके जल लेकर महादेव को चढ़ाते हैं. कांवड़ यात्रा क्यों कि जाती है। और कांवड़ यात्रा का जल अधिकांश कावड़िए हरिद्वार से ही लेते हैं। इसके पीछे क्या वजह है चलिए आपको बताते हैंI

 

हरिद्वार से ही क्यों जल उठाते हैं कांवडिय़ें, जानें कांवड़ यात्रा का महत्व

हरिद्वार से ही क्यों जल उठाते हैं कांवडिय़ें, जानें कांवड़ यात्रा का महत्व Kawad Yatra 2023 

हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी बहती है और यहाँ हर की पौड़ी से जल भरने का बड़ा मह्त्व है कहते है समुंद्र मंथन के समय् जो अमृत कलश देवता ले कर जा रहे थे उस समय कुछ अमृत की बुँदे छलक गयी वो स्थान ब्रह्म कुण्ड कहलाया जो की हर की पौडी पर स्थित है  भारत में बहुत से प्रसिद् गंगा घाट है जहां पर स्नान करने से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है. भारत में ब्रह्म कुण्ड, हर की पौड़ी,गोमुख,ऋषिकेश, वाराणसी, सोरों घाट, त्रिवेणी घाट बहुत ही प्रसिद्ध है. यहां पर भी कावड़िये जल लेने के लिए जाते हैं. हालांकि सबसे अधिक कावड़िये हरिद्वार से ही जल उठाते है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव श्रावण मास में अपनी ससुराल दक्षेश्वर महादेव के रूप में राजा दक्ष की नगरी में वास करते हैं यह स्थान हरिद्वार के कनखल नगरी में स्थित है यहाँ पर कावड़िये दर्शन करके गंगा घाटों से जल भरते है यहीं वजह है कि कावड़िये यात्रा कर जल लेने के लिए हरिद्वार आते हैं सबसे ज्यादा महत्व हरिद्वार से जल लाने का माना जाता है

कांवड़ यात्रा का महत्व

श्रावण के महीने में हर साल लाखों कावड़िये जल लेने के लिए हरिद्वार आते हैं. कांवड़ में गंगाजल भरने के बाद वह पैदल यात्रा कर पुरा महादेव या घरो के समीप शिवालयों में पहुचेंगे और श्रावण मास की त्रयोदशी(प्रदोष) 15 जुलाई 2023(शनिवार) के दिन अभिषेक किया जायेगा।  ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जो हलाहल विष निकला था उसे भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए पी लिया था. जिसके बाद उनका कंठ नीला पड़ गया था. विष का सेवन करने के बाद उनके कंठ में जलन होने लगी थी. तब इंद्र देव व् अन्य देवताओ ने शिव जी के ऊपर (घोरवर्षा)जल अर्पित किया था जिससे उनकी जलन शांत हुई। समुद्र मंथन के समय शिव जी के विष पीने के बाद उन्हें कष्ट होने लगा था, जिसे शांत करने के लिए शिव भक्त रावण ने तप किया था. रावण ने कांवड़ में जल भरकर शिव जी का जलाभिषेक किया, इसी मान्यता के तहत श्रावण मास में कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

पुराणों में बताया गया है कि कांवड़ यात्रा देवा दी देव महादेव को प्रसन्न करने का सबसे सरल और सहज तरीका है। भगवान शिव के भक्त बांस की लकड़ी पर दोनों ओर टिकी हुई टोकरियों के साथ गंगा के तट पर पहुंचते हैं और टोकरियों में गंगाजल भरकर लौट जाते हैं। कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर लगातार यात्रा करते हैं और अपने क्षेत्र के शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है। साथ ही घर में धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं होती है और अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है।

हरिद्वार से ही क्यों जल उठाते हैं कांवडिय़ें, जानें कांवड़ यात्रा का महत्व

 

कांवड़ यात्रा के प्रकार और नियम

सामान्य कावंड़ यात्रा
सामान्य कांवड़ यात्रा में कावंडियां जब चाहे आराम कर सकता है। वह आराम करने के बाद फिर से अपनी यात्रा शुरू कर सकता है। हरिद्वार में लाखों की संख्या में लोग कांवड़ लेने के लिए आते हैं। अब लोग समय के आभाव के कारण अपनी गाड़ी और बाइकों पर भी जल लेकर जाते हैं। यह लोग भी जल भरकर शिवालयों में चढ़ाते हैं।

 

दंड कावड यात्रा
यह कांवड़ यात्रा सबसे कठिन होती है। इस यात्रा में भक्त घाट से शिवालय तक दंड विधि यानी लेटकर जल शिवालय तक लेकर जाता है। वह रास्ते को अपने शरीर से लेटकर पूरा करता है। इस यात्रा में बहुत मेहनत और समय लगता है।

खड़ी कांवड़ यात्रा
इस कांवड़ यात्रा में कांवड़ को लगातार लेकर चलना होता है। खड़ी कांवड़ यात्रा में कांवड़ को जमीन पर नहीं रख सकते हैं। इस कांवड़ यात्रा में कावंड़ियां की मदद के लिए दो तीन लोग होते हैं. जब एक कावंड़ियां आराम करता है। तो दूसरा कांवड़ लेकर चलने की स्थिति में कावड को झुलाता रहता है।

डाक कावंड़
डाक कावंड़ में कुछ लोग एक साथ मिलकर जल लाते हैं। इस यात्रा में लगातार जल लेकर चलना होता है। इस यात्रा में सभी श्रद्धालु गंगा जल को लेकर तेजी से अपने गंतव्य स्थान के लिये प्रस्थान करते हैं यह लोग जल चढ़ाने के बाद ही रुकते हैं। इस यात्रा के लिए हरिद्वार से पूरा महदेव व् आसपास का रास्ता खाली करा दिया जाता है।

 

 

 

 

FAQ 

Ques – कावड़ जल कब चढ़ेगा 2023 ?

Ans –  श्रावण मास यूँ तो 04 जुलाई 2023 में शुरु हो रहा हैI और पुरे सावन में लोग शिव जी को जल चढाते हैंI परन्तु इस बार श्रावण मास की त्र्योदशी(प्रदोष) शिव रात्रि को (शनिवार)15 जुलाई 2023 को मुख्य जल इस बार शिवालयो में चढ़ाया जायेगा I

Ques – हरिद्वार के रास्ते कब बंद होंगें ?

Ans – शनिवार 9 जुलाई  सुबह पांच बजे से मेरठ से हरिद्वार जाने वाले वाहनों के लिए वन वे किया गया है. मेरठ से हरिद्वार जाने वाले वाहन वाया मवाना, रामराज, देवबंद मार्ग होते हुए जाएंगे. भारी वाहनों को शहर में एंट्री की इजाजत नहीं होगी. ट्रैफिक पुलिस ने बताया कि भारी वाहनों को शहर के बाहर रोक दिया जाएगा. प्रशासन ने ट्रैफिक डायवर्जन प्लान जारी किया है. दिल्ली-एनसीआर के वाहनों को हापुड़ बुलंदशहर बाईपास और हापुड़ किठौड़ मार्ग से गुजारा जाएगा. हरिद्वार और देहरादून जानेवाले वाहन मीरापुर वाया गंगा बैराज, बिजनौर और नजीबाबाद से होकर जाएंगेI

Ques – हरिद्वार जाने के लिए मार्ग क्या रहेंगे ?

Ans – हरिद्वार आने वाले कावड यात्रियों को मुजफ्फर नगर से पुरकाजी या लक्सर होते हुए बैरागी कैंप पार्किंग स्थल पर पहुचना होगा जो डाक कावड ले कर चलते हैं भरी वहां वाले I  नजीबाबादसे आने वाले कावड यात्री चंडी घाट पार्किंग में अपने वहां पार्क करेंगे I

Leave a comment