शुभ मुहूर्त व शुभ तिथियाँ

 

आओ जानें शुभ मुहूर्त व शुभ तिथियाँ हमारे जीवन में क्यों महत्वपूर्ण हैं। आपने पिछले पोस्ट शुभ मुहूर्त तिथियाँ आर्टिकल को हमारे divinepanchtatva.com में पढा की हम दैनिक जीवन में आसानी से अपने विशेष कार्यो के अनुसार शुभ मुहूर्त्त को पंचांग और बतायी गयी तिथि और वारों की विभिन्न सारणियो की मदद से जान सकते है। और जीवन को सफल बना सकते है। उसी श्रंखला में हम और आगे बात करते है उन शुभ अशुभ योगों के बारे में जिन्हें बिना पंचांग देखे ही पुराने समय के लोग इन तिथि और वारों के बारे में अक्सर बातें किया करते थेI परन्तु समय के साथ बड़ो का साथ भी दूर हो गया और इस आधुनिक  और तेज रफ़्तार जीवन में हम सब भूल गए है की क्या कर रहे हैं और क्या करना हैं-

चलो जानें विस्तार पूर्वक कुछ खास मास शुन्य तिथियाँ जिन में कार्यो को आरंभ करना ज्योतिष के अनुसार वर्जित कहा गया है और कुछ शुभ योग सारणी की मदद से सरल शब्दों मे –

 

शुभ मुहूर्त व शुभ तिथियाँ

 

 

शुभ मुहूर्त तिथियाँ

 

तिथियों के प्रकार तिथि तिथि तिथि शुक्लपक्ष/कृष्णपक्ष
नंदा 1 6 11 दोनोंपक्षों की तिथि
भद्रा 2 7 12 दोनोंपक्षों की तिथि
जया 3 8 13 दोनोंपक्षों की तिथि
रिक्ता 4 9 14 दोनोंपक्षों की तिथि
पुर्णा 5 10 15/30 शुकलपक्ष की तिथि केवल

पुर्णा तिथियों में शुक्ल पक्ष की तिथियों को ही शुभ माना जाता है।

 

तिथि और वार से निर्मित शुभ योग “ सिद्ध योग”

 

तिथियों के प्रकार तिथि तिथि तिथि वार
नंदा 1 6 11 शुक्रवार
भद्रा 2 7 12 बुधवार
जया 3 8 13

 

मंगलवार
रिक्ता 4 9 14 शनिवार
पुर्णा 5 10

 

15/30 गुरूवार

कृष्ण पक्षशुक्ल पक्ष दोनों ही पक्षों में शुभ योग या सिद्धि योग का निर्माण होगा I

परन्तु अमावस्या तिथि को छोड़कर I या अमावस्या को अगर शनिवार पड़ जाये तो वह अतिशुभ माना जाता हैI

 

👉 पिछ्ली पोस्ट को पढ़े- शुभ मुहूर्त तिथियाँ

 

मास शून्य तिथियाँ या वर्जित तिथि(अशुभ तिथि) दोनों पक्षों के अनुसार-

1 चैत्र मास– दोनो पक्ष, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की अष्टमी और नवमी ।

2 वैशाख मास– दोनो पक्षों की दादशी (12वी तिथि को शुभ कार्य न करे)।

3 ज्येष्ठ मास– दोनों पक्षों(कृष्णपक्ष/शुक्लपक्ष) की चतुर्दशी व त्रयोदशी (14 व 13वी तिथि)  शुभ कार्य के लिए वर्जित है।

4 आषाढ़ मास– कृष्णपक्ष की षष्ठी6 और शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शुभ कार्य के लिए उपयोगी नहीं है।

5 श्रावण मास– कृष्ण पक्ष और शुक्लपक्ष दोनोंपक्षों दुवित्या2 तिथि व तृतीया3 तिथि को शुभ कार्य न करें।

6 भाद्रपद मास– कृष्णपक्ष की 1प्रतिपदा(प्रथमा)तिथि व 2दिव्तीया तिथि वर्जित है।

7 आश्विन मास– दोनो पक्षों की 10दशमी व ।।वी एकादशी तिथि उपयोगी नहीं है ।

8 कार्तिक मास– कृष्ण पक्ष में पंचमी और शुक्ल पक्ष में चौदहवीं तिथि उपयोगी नहीं है।

9 मृगशिरा मास– दोनों पक्षों शुक्ल/कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि ठीक नहीं है।

10 पौष मास– दोनों पक्ष की चतुर्थी और पंचमी वर्जित I

11 माघ मास– कृष्ण पक्ष की पंचमी और शुक्ल पक्ष की षष्ठी 6वी तिथि वर्जित I

12 फाल्गुन मास – कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की तृतीया को शुभ कार्य नहीं करने चाहिये I

 

तिथियों व वारों के अनुसार अशुभ योग

 

           1.अशुभ योग (अधम योग) –  इस योग को अच्छा योग नहीं माना जाता है।

वार तिथि
शनिवार 6षष्ठी
शुक्रवार 7सप्तमी
बृहस्पति 8अष्टमी
बुधवार 1प्रथमा व 9नवमी
मंगलवार 10दशमी
सोमवार 11एकादशी
रविवार 7सप्तमी

 

 

         2.अशुभ योग (मृत्यु योग) –इस योग को अच्छा योग नहीं माना जाता है।

तिथियाँ तिथि के प्रकार वार
1,6,11 नंदा रविवार,मंगलवार
2,7,12 भद्रा सोमवार,शुक्रवार
3,8,13 जया बुधवार
4,9,14 रिक्ता ब्रहस्पतिवार
5,10,15 पूर्णा शनिवार

 

 

      3.अशुभ योग(विशाख्य योग) – इस योग को अच्छा योग नहीं माना जाता है।

वार तिथि
रविवार 4 चतुर्थी
सोमवार 6 षष्ठी
मंगलवार 7 सप्तमी
बुधवार 2 दिवितीय
ब्रहस्पतिवार 8 अष्टमी
शुक्रवार 9 नवमी
शनिवार 7 सप्तमी

 

 

       4.अशुभ योग (हुताशन योग) – इस योग को अच्छा योग नहीं माना जाता है।

 

वार तिथि
रविवार   12
सोमवार    6
मंगलवार    7
बुधवार    8
ब्रहस्पतिवार    9
शुक्रवार   10
शनिवार   11

 

यह चार तरह के मुख्यतः अशुभ योग माने गयें हैं। यह योग किसी भी माह में सप्ताह के शुरुवात से अंत तक या दी गयी सारणी के अनुसार वार और तिथि अगर मैच करे तो बनते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बहुत से योग और नक्षत्र बनते हैं। आज के युग में हम शायद इन सभी विधियों को न अपना पायें परन्तु इन शुभ और अशुभ विधियों को अगर नोट कर ले और इसी विधि को अगर प्रयोग करें तो इनसे आप बच सकते हैं और शुभ तिथियों को उपयोग करें तो आप देखेंगे की  यह स्वार्थ सिद्ध योग ही है जो पंचांग में सहज ही दिख जायेंगे जो हमारे जीवन को सफल बना सकते हैं। हम आशा करते है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित हो आगे हम divinepanchtatva.com पर नये विषयों के साथ नयी जानकारी साझा करते रहेंगें।

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